नई दिल्ली , 1 सितम्बर ( धमीजा ) : देश के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला के दिल्ली के छतरपुर स्थित फार्म हाउस में रहेंगे। आज सोमवार शाम लगभग 6 बजे धनखड़ ने अचानक इस्तीफे के 42 दिन बाद उपराष्ट्रपति आवास छोड़ दिया। इस बारे में अभय चौटाला ने पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने ही धनखड़ से पुराने रिश्तों का हवाला देते हुए उनके घर में रहने की रिक्वेस्ट की थी। जिसे उन्होंने मान लिया।
श्री धनखड़ ने 21 जुलाई को पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। तब से वे सार्वजनिक कहीं नजर नहीं आए। इस दौरान विपक्ष ने हाउस अरेस्ट जैसे कई आरोप लगाए। हालांकि सरकार ने इनसे इनकार किया। धनखड़ अब तक संसद भवन के पास उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में रह रहे थे। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। उन्होंने 10 जुलाई को एक कार्यक्रम में कहा था, ‘ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त, 2027 में रिटायर हो जाऊंगा।’
श्री धनखड़ के अभय चौटाला के फार्म हाउस में शिफ्ट होने बाद अभय चौटाला ने कहा- जगदीप धनखड़ शाम करीब 6 बजे हमारे आवास में शिफ्ट हुए हैं। यह घर जगदीप धनखड़ का ही है।
9 सितम्बर को नए उपराष्ट्रपति का चुनाव
धनखड़ अभय चौटाला के फार्म हाउस में तब तक रहेंगे, जब तक उन्हें टाइप-8 सरकारी बंगला आवंटित नहीं कर दिया जाता, जिसके वे पूर्व उपराष्ट्रपति होने के नाते हकदार हैं।धनखड़ के करीबी सूत्रों के अनुसार वे अपने परिवार के साथ समय बिता रहे हैं, टेबल टेनिस खेल रहे हैं और योग का अभ्यास कर रहे हैं।
नए उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होना है। इसमें एनडीए के महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी से है।
पेंशन के लिए किया आवेदन
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 30 अगस्त को पूर्व विधायक के नाते मिलने वाली पेंशन के लिए राजस्थान विधानसभा सचिवालय में फिर से आवेदन किया है। धनखड़ 1993 से 1998 तक किशनगढ़ सीट से कांग्रेस के विधायक रहे थे। पूर्व विधायक के तौर पर उन्हें जुलाई 2019 तक पेंशन मिल रही थी। जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनने के बाद पेंशन बंद हो गई थी।
अभय चौटाला ने धनखड़ के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा था “ताऊ की राह पर”

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अभय चौटाला ने 22 जुलाई को पोस्ट शेयर किया था, जिसमें लिखा था- ताऊ की राह पर। अभय चौटाला ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था, ‘चौधरी देवीलाल, जिन्हें जनता प्यार से ताऊ कहती थी, ने 1989 में प्रधानमंत्री बनने का सुनहरा अवसर ठुकरा कर देश को चौंका दिया था। उनके लिए सत्ता नहीं, जनता की सेवा और सिद्धांत ज्यादा महत्वपूर्ण थे। उन्होंने अपने जीवन भर “सेवा ही धर्म” को अपना मार्ग बनाया।’
उन्होंने आगे लिखा- आज जब जगदीप धनखड़ जैसे कर्मठ नेता ने अपने स्वास्थ्य और चिकित्सकीय सलाह को प्राथमिकता देते हुए उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दिया, तो यह स्पष्ट होता है कि वह केवल पद के भूखे नहीं, बल्कि कर्तव्यनिष्ठ और सिद्धांतवादी राजनीतिज्ञ हैं। धनखड़ का यह निर्णय न केवल उनके व्यक्तिगत चरित्र को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि वह ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत के सच्चे अनुयायी हैं।