राव इंद्रजीत की डिनर डिप्लोमैसी से हरियाणा की राजनीति गरमाई , डिनर में शामिल विधायकों में 11 बीजेपी के, पूर्व सीएम खट्टर पर भी साधा निशाना 

गुरुग्राम , 1 जुलाई ( धमीजा ) : गुरुग्राम से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत की डिनर डिप्लोमेसी ने हरियाणा की राजनीति में हलचल मचा रखी है। 18 जून को चंडीगढ़ में उनकी बेटी आरती राव के आवास पर हुए डिनर में दक्षिणी हरियाणा के 11 भाजपा और एक कांग्रेस विधायक शामिल हुए। डिनर के बाद राजनीतिक हलकों में तरह-तरह की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। हरियाणा में इंद्रजीत का इकलौता ऐसा सियासी परिवार है, जिसके पास दो मंत्री पद हैं। राव इंद्रजीत खुद केंद्र में राज्यमंत्री हैं जबकि उनकी बेटी आरती राव प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।

हरियाणा के CM नायब सैनी 15 जून को रेवाड़ी के राव तुलाराम स्टेडियम में आयोजित धन्यवाद रैली में आए थे। CM के मंच पर अहीरवाल के दिग्गज राव इंद्रजीत के बोल तीखे रहे थे। राव इंद्रजीत ने CM सैनी को कहा था कि मुख्यमंत्री जी, हमने आपकी सरकार बनाई है, हमारा हक बनता है, हमारा काम किया जाए। इसके जवाब में CM नायब सैनी ने संबोधन के दौरान कहा कि हम किसी जाति की नहीं, पौने 3 करोड़ लोगों की सरकार हैं। इन सभी के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। यह रिश्ता राजनीतिक नहीं बल्कि दिल का है।

दक्षिण हरियाणा में साल 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 17 सीटें जीतीं थी, जबकि कांग्रेस की झोली में 6 सीटें आईं थी। ऐसे में राव इंद्रजीत का मानना है कि भाजपा की लगातार तीसरी बार सरकार बनने में दक्षिण हरियाणा खासकर अहीरवाल बेल्ट की अहम भूमिका रही है।

चुनाव में मंजू चौधरी ने कहा था- राव साथ देंगे अहीरवाल में पड़ने वाले नांगल चौधरी हलके में साल 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मंजू चौधरी ने रिटायर्ड आईएएस अफसर एवं भाजपा के तेज़ तर्रार नेता अभय सिंह यादव को हरा दिया था। यह जीत 2 वजह से हैरान करने वाली थी। एक तो पूरे अहीरवाल में सिर्फ इसी सीट पर कांग्रेस जीत पाई थी। दूसरा प्रचार के दौरान मंजू चौधरी ने कहा था- 2019 के चुनाव की तरह इस बार भी राव इंद्रजीत उनका साथ देंगे। भाजपा के तत्कालीन सिटिंग विधायक अभय सिंह यादव के राव इंद्रजीत के साथ संबंध मधुर नहीं थे।

पटौदी की विधायक बिमला चौधरी की तरफ से उनके बेटे रवि चौधरी ने बताया कि यह एक डिनर का कार्यक्रम था। इसमें किसी तरह की राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। 

डिनर डिप्लोमेसी का फॉर्मूला इस्तेमाल करते रहे हैं राव 

कांग्रेस में रहते हुए भी राव इंद्रजीत अपनी डिनर डिप्लोमेसी का इस्तेमाल राजनीतिक दबाव बनाने के लिए करते रहे । यही नहीं भाजपा में शामिल होने के बाद भी यह क्रम जारी रखा। अगस्त 2015 में जब मनोहर लाल को मुख्यमंत्री बने कुछ महीने ही हुए थे, तब राव ने पहले सांसदों को डिनर दिया। उसके बाद अहीरवाल के विधायकों को डिनर पर बुलाया था। तब राव ने अपने धुर विरोधी बादशाहपुर के विधायक एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री राव नरबीर को नहीं बुलाया था। जबकि परिवहन एवं खाद्य आपूर्ति मंत्रालय छिनने से नाराज चल रहे महेंद्रगढ़ के विधायक एवं शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा को निमंत्रण दिया था।

भूपेंद्र यादव को विकल्प बनने से रोका था  साल 2021 में सियासी गलियारों में चर्चा उठी थी कि अहीरवाल बेल्ट में भाजपा राव इंद्रजीत का विकल्प तलाश रही है। तब केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव लगातार अहीरवाल के चक्कर काट रहे थे। तभी राव इंद्रजीत ने अपनी सियासी ताकत दिखाने के लिए ऐसा डिनर रखा था। पहले ऐसे डिनर कार्यक्रम रामपुरा हाउस (राव इंद्रजीत का पैतृक आवास) में रखे जाते थे।

डिनर के बाद इंटरव्यू में खट्टर पर साधा निशाना … 

चंडीगढ़ में हुई डिनर डिप्लोमेसी के बाद राव इंद्रजीत का एक पॉडकास्ट पर इंटरव्यू जारी हुआ। जिसमें राव ने यहां तक कहा कि CM नायब सैनी हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के ऑफिस में अभी भी मनोहर लाल खट्टर के टाइम के बाबुओं की ही चल रही है। राव ने केंद्र में कैबिनेट के बजाय राज्य मंत्री बनाए जाने पर कहा कि इसकी टीस तो है, लेकिन मेरे काम हो जाते हैं।

उन्होंने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल से उनकी बनी या नहीं बनी यह अलग बात है, लेकिन उन्होंने सारे हरियाणा में बराबर काम करवाया, लेकिन उनकी जन नेता बनने की उम्मीद नहीं बन पाई। जाटों के वोट उन्हें नहीं मिले ।

राव इंद्रजीत ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह से रिश्तों के सवाल पर कहा- प्रधानमंत्री मोदी की वजह से ही मैंने सीधे पार्टी जॉइन की थी। इसलिए हो सकता है कि हरियाणा के कुछ नेताओं को मेरा इस तरह सीधे पार्टी जॉइन करना अच्छा नहीं लगा।

राव ने कहा मैं सबसे ज्यादा जनाधार वाला नेता  

राव इंद्रजीत ने कहा- मुझसे शायद वे कंपीटिशन समझते हैं, आप मानें या न मानें, लेकिन हरियाणा में सबसे ज्यादा जनाधार वाला व्यक्ति हूं। इसलिए लोग मुझसे कतराते हैं कि कहीं इंद्रजीत को पार्टी बड़ी जिम्मेदारी न सौंप दें। इस सिक्के का दूसरा पहलू ये है कि मेरी लड़ाई तो हो जाती है, लेकिन मैं जो सार्वजनिक काम उठाता हूं तो वो काम हो जाते हैं। इन कामों में भी वे ये सोचते हैं कि राव इंद्रजीत को श्रेय न मिले।

मुख्यमंत्रियों से रिश्तों में खटास होने के सवाल पर राव इंद्रजीत ने कहा- मेरे साथ किसी की भी अनबन शुरुआत में नहीं हुई। मगर, जिस पार्टी या सदस्य की मदद में मेरा योगदान लिया जाता है, वही मेरी तरफ से दी ताकत को मेरे खिलाफ इस्तेमाल करता है, तो मेरे कैरेक्टर में ये नहीं है कि मैं चुपचाप बिल में छुप जाऊं। फिर मुझे भी सामने आना पड़ता है तो मेरी अनबन हो जाती है। इसलिए मेरी कई मुख्यमंत्री से नहीं बनी।

हरियाणा में इकलौता राजनैतिक परिवार, जिसके पास 2 मंत्री पद  

भाजपा आमतौर पर एक व्यक्ति एक पद या एक परिवार एक पद के फॉर्मूले पर चलती रही है। एक परिवार से एक ही टिकट की थ्योरी भी पार्टी रखती है। लेकिन हरियाणा में राव का इकलौता सियासी परिवार है, जिसके पास दो मंत्री पद हैं। राव इंद्रजीत खुद केंद्र में राज्यमंत्री हैं जबकि उनकी बेटी आरती राव प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। राव इंद्रजीत 75 साल के हो चुके हैं। वैसे भाजपा में 75 साल की उम्र में सियासी रिटायरमेंट का भी फॉर्मूला है।

यूं तो स्व. बंसीलाल परिवार के पास भी दो सियासी पद हैं, लेकिन मंत्री पद एक ही है। बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी जहां राज्यसभा सदस्य हैं, वहीं उनकी बेटी श्रुति चौधरी प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इनसे पहले बीरेंद्र सिंह के केंद्र में मंत्री रहते उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार लोकसभा क्षेत्र से टिकट मिला था। तब बीरेंद्र सिंह ने राज्यसभा सांसद के तौर पर इस्तीफा देने की पेशकश की थी। यहीं नहीं बीरेंद्र सिंह ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा तक कर दी थी।

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