गुरुग्राम के लैंड डील मामले में ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ पेश की चार्जशीट, जानिये क्या है मनी लॉन्डरिंग मामला !

नई दिल्ली, 17 जुलाई ( धमीजा ) : हरियाणा के गुरुग्राम लैंड डील केस में एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने बिजनेसमैन और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट पेश की है। यह चार्जशीट लैंड डील से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पेश की गई है। यह पहला मौका है कि किसी भी जांच एजेंसी ने किसी आपराधिक मामले में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट दायर की हो। वाड्रा के अलावा इस चार्जशीट में कई अन्य लोगों के साथ कंपनियों के नाम भी शामिल हैं।

यह मामला सितंबर 2008 का है। जो गुरुग्राम के शिकोहपुर (अब सेक्टर 83) लैंड डील से जुड़ा हुआ है। इस केस में रॉबर्ट वाड्रा के साथ हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ और एक प्रॉपर्टी डीलर के खिलाफ साल 2018 में FIR दर्ज की गई थी। FIR में भ्रष्टाचार, जालसाजी और धोखाधड़ी सहित अन्य आरोप लगाए गए हैं।

वाड्रा पर आरोप हैं कि उनसे जुड़ी कंपनी ने 7.5 करोड़ रुपए में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। इस सौदे का म्यूटेशन भी असामान्य तरीके से कर दिया गया। उस वक्त प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र हुड्‌डा मुख्यमंत्री थे। उनकी सरकार ने इस जमीन में से 2.70 एकड़ जमीन को कॉमर्शियल कॉलोनी के तौर पर डेवलप करने की इजाजत देते हुए रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को इसका लाइसेंस दिया था।

आवासीय परियोजना का लाइसेंस मिलने के बाद जमीन की कीमत बढ़ गई। बाद में वाड्रा से जुड़ी कंपनी ने यह जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ में बेच दी। आगे चलकर हुड्डा सरकार ने आवासीय परियोजना का लाइसेंस डीएलएफ को ट्रांसफर कर दिया।

आरोप है कि इस पूरी डील में कई अनियमितताएं की गईं। हरियाणा पुलिस ने 2018 में इस सौदे से जुड़े मामले में केस दर्ज किया। आगे चलकर ईडी ने भी इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू की।

ये है लैंड डील मामला….. 

फरवरी 2008 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपए में खरीदी थी। उसी साल, तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुआई वाली हरियाणा सरकार ने इस जमीन पर 2.7 एकड़ के लिए व्यवसायिक कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस दिया। इसके बाद कॉलोनी बनाने की जगह स्काईलाइट कंपनी ने इस जमीन को DLF को 58 करोड़ रुपए में बेच दिया, जिससे लगभग 50 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।

2012 में, तत्कालीन हरियाणा सरकार के भूमि रजिस्ट्रेशन निदेशक अशोक खेमका ने इस सौदे में अनियमितताओं का हवाला देते हुए जमीन के म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) को रद्द कर दिया। खेमका ने दावा किया था कि स्काईलाइट को लाइसेंस देने की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ और सौदा संदिग्ध था। इसके बाद, उनका तबादला कर दिया गया, जिससे यह मामला और विवादास्पद हो गया।

2018 में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मुकदमा किया दर्ज 

साल 2018 में हरियाणा पुलिस ने रॉबर्ट वाड्रा, भूपेंद्र हुड्डा, DLF, और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर FIR दर्ज की थी। जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप में IPC की धारा 420, 120, 467, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज किया गया था। बाद में IPC की धारा 423 के तहत नए आरोप जोड़े गए थे।

ED ने मनी लॉन्डरिंग का मामला किया दर्ज़ 

इसके बाद ईडी ने संदेह जताया कि इस सौदे में मनी लॉन्ड्रिंग हुई, क्योंकि जमीन की कीमत कुछ ही महीनों में असामान्य रूप से बढ़ गई। इसके अलावा यह भी संदेह जताया कि ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज एक फर्जी कंपनी थी। उसे सौदे में भुगतान के लिए इस्तेमाल किया गया।

जमीन की खरीद से जुड़ा चेक कभी जमा नहीं किया गया। ईडी ने 2018 में हरियाणा पुलिस की FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। यह जांच स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी की वित्तीय गतिविधियों और सौदे से प्राप्त आय पर केंद्रित है।

Please follow and like us:
error1
fb-share-icon20
Tweet 20
fb-share-icon20

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
error

Enjoy this blog? Please spread the word :)