मुकेश के सदाबहार नगमों से गूंज उठी मुख्तार शाह नाईट, मुकेश कुमार के गीतों वाली यादगार शाम का खूब आनंद उठाया लोगों ने 

फरीदाबाद, 28 सितम्बर ( धमीजा ) : फरीदाबाद साहित्यिक एवं सांस्कृतिक केंद्र (एफएलसीसी) द्वारा जीवा पब्लिक स्कूल में आयोजित  मधुर गीतों के कार्यक्रम ‘एक सुरीली शाम मुकेश के नाम’ में सदाबहार दिलकश आवाज़ के मालिक महान स्वर्गीय गायक मुकेश को उनके गाये गीतों के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए मुख्तार शाह सदाबहार नगमों की जो बहार लाये उसे पूरा सभागार गूंज उठा। वर्षो बाद शहरवासियों ने पुराने नगमों को सुना तो वे एकाग्रचित हो कर बॉलीवुड के मशहूर गायक एवं गायिका अनुजा सिन्हा ने मुकेश के गाने उनके सुरीले कंठ से  सुने तो सुनते ही रह गये। उन्होंने अपनी सुरीली आवाज में एक के बाद एक सदाबहार नगमों की माला के मोतियों को ऐसा पिरोया कि दर्शक अपने स्थान से अंत तक हिल न सकें। वह मुकेश के सदाबहार और सुरीले गानों जाने कहाँ गए वो दिन, तारों में सज के अपने सूरज से, देखो धरती चली मिलने, इक दिन बिक जायेगा, माटी के मोल, चाँद सी महबूबा हो मेरी, डम डम डिगा डिगा, मौसम भिगा भिगा, जीना यहाँ मरना यहाँ, ओह रे ताल मिले नदी के जल में की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गए।

मुख्तार शाह को उनके प्रशंसकों ने “गोल्डन वॉयस ऑफ मुकेश” की उपाधि दी है। उनकी आवाज़ में मुकेश जैसी मधुरता और भावुकता होने के कारण उन्हें ‘मुकेश की सुनहरी आवाज़’ और ‘स्टेज किंग’ जैसे नामों से जाना जाता है। उन्होंने अनुजा सिन्हा के साथ अपनी सुनहरी आवाज में पीड़ा, कोमलता और खुशी के एक उत्तम मिश्रण के साथ दर्शकों को रोमांचित‌‌ करते हुए कार्यक्रम में गीतों के माध्यम से मुकेश की गायकी के विभिन्न अंदाजों का शानदार प्रस्तुतीकरण किया गया जो एक सफल सांस्कृतिक कार्यक्रम था।  उन्होने अनुजा सिन्हा के साथ एक से बढ़कर एक सुपरहिट युगल गीतों एक प्यार का नग़मा है मौजों की रवानी है, फूल तुम्हें भेजा है खत में, सावन का महीना, पवन करे सोर, किसी राह में किसी मोड़ पर कहीं चल ना देना तू छोड़कर,  हमसफ़र मेरे हमसफ़र, क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो, ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम, मैं ना भूलूँगा, मैं ना भूलूँगी, दिल की नज़र से, नज़रों की दिल की सुरीली बौछार से दर्शकों को भिगो दिया। समय समय पर मुख्तार शाह ने दर्शकों को भी अपने साथ गाने के प्रेरित किया और उत्साह भरे माहौल में  ऑडिटोरियम संगीत स्वर लहरियों व तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। म्यूजिक डिज़ाइनर बैंड ने गायकों के लिए एक मजबूत संगीतमय ढाँचा तैयार करते हुए अपने दमदार प्रदर्शन से कार्यक्रम में एक अलग ही ऊर्जा भर दी। उनकी ताल और धुनें ने दर्शकों को थिरकने और गाने पर मजबूर दिया जिससे पूरे माहौल में उत्साह और जोश भर‌ गया

कार्यक्रम से पहले मीडिया और पत्रकारों के साथ मुख्तार शाह के विशेष संवादात्मक सत्र में एफएलसीसी की तरफ से कोषाध्यक्ष वसु मित्र सत्यार्थी ने मुख्तार शाह व मीडिया और पत्रकार साथियों स्वागत किया और सहयोग के लिए धन्यवाद किया। तत्पश्चात मुख्तार शाह ने अपनी उन्होंने अपने जीवन, करियर और संगीत से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा करते हुए फरीदाबाद साहित्यिक एवं सांस्कृतिक केंद्र द्वारा शहर में पहली बार उनके संगीतमय कार्यक्रम आयोजन की सराहनीय पहल कई शुभकामनाएं दी तथा मीडिया के सभी सवालों का जवाब दिया। सुरीली गायिका अनुजा सिन्हा ने कहा कि आजकल की फिल्मों के गानों में ना सुर है ना ताल है ,इसलिए उन गानों को लोग ना गाते हैं ना गुनगुनाते हैं। 

संगीतमय शाम की शुरुआत में मुकेश के जीवन और उनके संगीत सफर पर एक छोटी डॉक्युमेंट्री प्रस्तुति दर्शकों के लिए एक भावुक पल था। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती वंदना और दीप प्रज्जवलित कर किया गया। कार्यक्रम डायरेक्टर प्रसिद्ध कवि दिनेश रघुवंशी ने कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से संचालित करते हुए मुकेश के जीवन और उनके गानों से जुड़ी दिलचस्प बातों को दर्शकों के साथ साझा किया।

एफएलसीसी प्रधान नवीन सूद व सांस्कृतिक सचिव विनोद मलिक ने मुख्तार शाह व अनुजा सिन्हा का तथा चंद्रलता चौहान और सुरेखा बांगिया ने पुष्पगुच्छ और एफएलसीसी स्मृति चिन्ह देकर व शाल ओढ़ाकर कलाकारों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में शामिल विशेष अतिथियों पूर्व शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा, डा. रवि गुगनानी, प्रसिद्ध उद्योगपति शम्मी कपूर, अजय जुनेजा का भी पुष्पगुच्छ देकर एलसीसी के कार्यकारिणी व संस्थापक सदस्यों ने स्वागत किया गया। वरिष्ठ उपप्रधान ऋषिपाल चौहान ने आमंत्रित गायकों, विशिष्ट अतिथियों व दर्शकों का कार्यक्रम में शामिल होकर इसे सफल और एक यादगार सुरीली शाम बनाने के लिए धन्यवाद किया।

कार्यक्रम में पूर्व मंत्री सीमा त्रिखा ने आये हुए अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया, आयोजकों ने श्रीमती त्रिखा का सामान किया। एफएलसीसी महासचिव एम एल नंदवानी, उपप्रधान जगदीप मैनी, कोषाध्यक्ष वसु मित्र सत्यार्थी,  कार्यकारिणी सदस्य वी के अग्रवाल, अश्वनी सेठी संस्थापक सदस्य जितेंद्र मान, संदीप गोयल, शुभ तनेजा, हरीश‌ अरोड़ा, मोहिंद्र सेठी, राकेश कुकरेजा व विभिन्न संस्थाओं के गणमान्य सदस्यों तथा भारी संख्या में संगीत प्रेमी शामिल हुए।

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