कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह के बंगले पर पुलिसकर्मी ने की आत्महत्या 

गुरुग्राम, 23 सितम्बर ( धमीजा ) :  गुरुग्राम में कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह के बंगले के गार्ड रूम में तैनात एक पुलिस कॉन्स्टेबल ने जहर निगलकर सुसाइड कर लिया। मंगलवार सुबह दूसरे सहकर्मी ने उसे बेहोशी की हालात में पड़े पाया तो मंत्री और पुलिस को जानकारी दी। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और कॉन्स्टेबल को तुरंत अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

मृतक की पहचान कॉन्स्टेबल जगबीर सिंह (49) के रूप में हुई है, जो झज्जर जिले के भूरावास गांव का रहने वाला था। पुलिस की जांच में सामने आया है कि जगबीर ने जहर खाया था। आरोप है कि जगबीर का भतीजा 4 माह पहले अपने ही गौत्र की लड़की को भागकर ले गया था। इसी वजह से गांव के लोगों ने पंचायत कर जगबीर के परिवार का बहिष्कार कर दिया था, जिसकी वजह से वह परेशान था। इसके अलावा उसके खिलाफ नाम बदलकर नौकरी पाने का भी मामला चल रहा था। 2 दिन की छुट्‌टी लेकर वह गांव गया और माफी भी मांगी थी। उसने कहा था कि इस मामले में उसका क्या कसूर है।

सिविल लाइन थाना पुलिस ने महिला, सरपंच प्रतिनिधि समेत 4 लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की FIR दर्ज कर ली है।

फ़ौज से रिटायर होने पर पुलिस में हुआ था भर्ती    

पुलिस के अनुसार, कॉन्स्टेबल जगबीर सिंह राव नरबीर सिंह के बंगले के प्रवेश द्वार पर सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात था। मंगलवार की रात जब उसका सहकर्मी नियमित जांच के लिए गार्ड रूम पहुंचा, तो उसने देखा कि वहां जगबीर बेसुध पड़ा है। सहकर्मी ने तुरंत वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने जगबीर को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद पुलिस ने उसके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। जांच में सामने आया कि उसने सल्फास निगलकर आत्महत्या की है।

मृतक कॉन्स्टेबल झज्जर जिले का रहने वाला था। वह 1996 में आर्मी में भर्ती हुआ था। 2012 में आर्मी से रिटायर्ड हुआ था। 2014 में वह हरियाणा पुलिस में सिपाही की पोस्ट पर भर्ती हुआ था।

क्या था मामला, क्यों परेशान था जगबीर 

गांव भूरावास के सरपंच जयभगवान ने बताया कि जगबीर के तीन भाई और हैं। करीब 4 महीने पहले जगबीर का भतीजा गांव से अपने ही गौत्र की लड़की को भगाकर ले गया था। लड़की के परिवार ने 15 सितंबर को ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें जगबीर का नाम भी शामिल था। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की थी। दोनों पक्षों को थाने बुलाकर बयान दर्ज किए थे। सरपंच जयभगवान ने बताया कि मामला सामने आने के बाद कई बार पंचायत हुई। कहा गया कि लड़का-लड़की वापस आ जाए। इसके बाद भी जब दोनों वापस घर नहीं आए तो ग्रामीणों ने उनके परिवार का समाज से बहिष्कार कर दिया। गांव वालों ने जगबीर के परिवार से कोई नाता नहीं रखा। बोलचाल और आना-जाना भी बंद हो गया।

बताया जाता है इसी दौरान एक व्यक्ति जगबीर थाने में यह भी शिकायत दी कि वह जगबीर नहीं दयानंद है और इसने अपने भाई के नाम पर आर्मी में नौकरी हासिल की थी। इसके बाद थाना प्रभारी हरेश कुमार ने 20 सितंबर को जगबीर को थाने बुलाया था। जगबीर ने अपने बयान में बताया था कि वहीं जगबीर है और उसी ने मैट्रिक की थी। हालांकि पहले उसका नाम दयानंद था, बाद में उसने अपना नाम बदलकर जगबीर करवाया था। उसी आधार पर उसकी आर्मी में नौकरी लगी थी। थाना प्रभारी मुताबिक, नाम बदलवाने से संबंधित जगबीर से डॉक्यूमेंट भी मांगे गए थे। उस समय जगबीर ने कहा था कि वह ढूंढकर जमा करवा देगा। उस मामले पर जांच जारी है।

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