ग्रीवेंस कमेटी  की मीटिंग में मामला गरमाया, मंत्री अरविन्द शर्मा ने अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश दिए 

नारनौल , 31 अक्टूबर ( धमीजा ) : हरियाणा के नारनौल में शुक्रवार को ग्रीवान्सेस कमेटी की बैठक में एक शिकायतकर्ता की सुनवाई के समय मामला गरमा गया। तीन मीटिंग में लगातार एक शिकायतकर्ता के आने और उस पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर मंत्री अरविंद कुमार शर्मा, DC व अन्य अधिकारियों पर भड़क गए। तभी DC ने जनस्वास्थ्य विभाग के SE को नॉनसेंस कह कर उसपर गुस्सा उतारा। मंत्री ने इस मासिक बैठक में पूर्व निर्धारित 11 मामलों की सुनवाई की।

इस दौरान मोहल्ला जमालपुर के विपिन शर्मा व दुलीचंद शर्मा की ओर से आए मामले की सुनवाई करते हुए मंत्री ने कहा कि यह मामला तीन बैठकों से लटका हुआ है, ऐसा क्यों है ?

मंत्री के सवाल उठाते ही ग्रीवेंस कमेटी मेंबरों ने कहा कि शहर में जनस्वास्थ्य विभाग के कारण सरकार की बदनामी हो रही है। अधिकारी कोई काम नहीं करते। बार-बार कहने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती। अधिकारी फोन तक नहीं उठाते। मामला चल ही रहा था कि इसी बीच एक परिवादी ओर आया। यह भी जनस्वास्थ्य विभाग से संबंधित था। जिसमें शहर के मोती नगर में जनस्वास्थ्य विभाग की ओर से सड़क पर गड्‌ढा बनाकर छोड़ने के बारे में शिकायत थी। जिस पर मंत्री ने कहा कि इस पर शीघ्र कार्रवाई होनी चाहिए तथा टूटा रोड बनाना चाहिए।

 वहीं, एक मेंबर ने कहा कि वार्ड नंबर एक में गांव ढाणी किरोरद में करीब 200 एकड़ जमीन बरसात के बाद से अभी तक पानी में डूबा है। उसमें से पानी नहीं निकला है। ऐसे में किसान न तो बाजरे की फसल का लाभ ले पाए, न ही वे आगामी सरसों या गेहूं की फसल ले पाएंगे। इस पर डीसी कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि उनके पास एक माह पहले यह मामला आया था। उन्होंने DRO को रिपोर्ट के लिए भेजा था। डीआरओ ने जो रिपोर्ट दी, उसके हिसाब से उन्होंने जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के SE एसपी जोशी को इसके निवारण के लिए बोला था, लेकिन एक माह बाद भी यह काम नहीं हुआ, व्हाट नॉनसेंस।

मंत्री अरविंद शर्मा ने कहा कि SE साहब, क्या आपके अधिकारी आपकी नहीं सुनते। क्या XEN व SDO आपकी बात नहीं मानते। इस पर वे कुछ जवाब नहीं दे पाए।

इस पर डीसी ने जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के सभी अधिकारियों को बुला लिया। जिसके बाद मंत्री अरविंद शर्मा ने डीसी को कहा कि पब्लिक हेल्थ के इन सभी अधिकारियों को आप कारण बताओ नोटिस भेजो। जिसमें एक माह का जवाब मांगो। यदि फिर भी अधिकारी नहीं सुनते हैं या काम नहीं करते हैं तो इनको सस्पेंड किया जाएगा। 

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