सूरजकुंड रोड पर तोड़फोड़ को लेकर राजनीति गरमाई, विरोध में पंचायत, हरियाणा ,राजस्थान, यूपी सहित बीकेयू का मिला समर्थन, संघर्ष समिति गठित, केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल ने कहा नहीं होगी तोड़फोड़  

फरीदाबाद, 6 जुलाई ( धमीजा ) :  पिछले करीब एक महीने से सूरजकुंड रोड पर चल रही तोड़ फोड़ ने अब बड़ा राजनैतिक मोड़ ले लिया है। सूरजकुंड रोड पर स्थित गाँव अनंगपुर में एक ही परिवार के तीन मकान तोड़े जाने के बाद ये मामला गरमा गया। तोड़फोड़ के विरोध में समस्त गांव एकजुट हो गया है। पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप का परिवार खुल कर गांव वासियों के साथ खड़ा हो गया है ऐलान कर दिया है कि यदि यहाँ तोड़फोड़ हुई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। महेंद्र प्रताप के पुत्र विजय प्रताप कई दिनों से रोज़ाना सुबह से ही अनंगपुर गांव पहुंचकर उनके साथ खड़े नज़र आ रहे हैं। दूसरी तरफ स्थानीय सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने गांव वालों को आश्वासन दिया है कि अब इस गांव में कोई तोड़फोड़ नहीं होने दी जायेगी। कृष्णपाल गुर्जर के समर्थन में प्रदेश के पूर्व मंत्री करतार भडाना व भाजपा नेता ने पत्रकार सम्मेलन में कहा कि कृष्णपाल गुर्जर के आश्वासन के बाद गांव अनंगपुर में कोई तोड़फोड़ नहीं हुई ,ना ही तोड़फोड़ दस्ता वहां पहुंचा।  दूसरी और विजय प्रताप कह रहे हैं कि उनके आने के बाद तोड़फोड़ रुकवाने के लिए भाजपा नेता सक्रीय हुए। 

तोड़फोड़ की इस राजनीति में पूर्व सांसद अवतार भड़ाना और करतार भड़ाना आमने सामने नज़र आ रहे है। गांव अनंगपुर इनका पैतृक गाँव है। करतार और अवतार भड़ाना सेज भाई हैं। अवतार भडाना 4 बार सांसद रहे हैं और करतार भडाना प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री रहे हैं। करतार भड़ाना का बेटा मनमोहन भड़ाना भाजपा के माजूदा एमएलए भी हैं। करतार भडाना का कहना है कि जब गुर्जर ने कह दिया है कि वह उनके गांव में किसी भी हालत में तोड़फोड़ नहीं होने देंगे तो उनकी बात पर विशवास करना चाहिए। उनका कहना है कि सरकार ही गांव की मदद कर सकती है। जबकि आज तोड़फोड़ व सरकार की इस कार्रवाई के विरोध में की गई पंचायत में अवतार भड़ाना का पुत्र अर्जुन भी शामिल हुआ। इस पंचायत में हरियाणा , राजस्थान व उत्तर प्रदेश के इलाकों से गुर्जर समाज के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।  

आज अनंगपुर में हुई पंचायत में आंदोलन पर हुई चर्चा 

वन क्षेत्र में चल रही तोड़फोड़ कार्रवाई के विरोध में रविवार आज एक बड़ी पंचायत का आयोजन किया गया। इस पंचायत में हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों से गुर्जर समाज के लोग शामिल हुए, जो ग्रामीणों को समर्थन देने पहुंचे हैं। पंचायत में इस कार्रवाई के खिलाफ भविष्य की रणनीति और आंदोलन की दिशा तय की जाएगी।

विरोध अनंगपुर गांव में अरावली वन क्षेत्र में चल रही तोड़फोड़ का है। यह विरोध उस तब तेज हुआ जब बीते मंगलवार को अनंगपुर गांव में एक मकान को तोड़ दिया गया। इसके बाद ग्रामीणों में भारी रोष फैल गया और लोग धरने पर बैठ गए। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार बिना उचित जानकारी दिए और उनके पुनर्वास की व्यवस्था किए बिना उनके घरों को उजाड़ रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि वे सालों से इन जमीनों पर रह रहे हैं, और अब अचानक उन्हें अवैध करार देकर बेघर किया जा रहा है।

अनंगपुर ,मेवला महाराजपुर , अनखीर व लकड़पुर गांव सहित सहित 6497 अवैध निर्माण चिह्नित अरावली वन क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फरीदाबाद प्रशासन की ओर से अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, अरावली और उसके आसपास के क्षेत्रों में अब तक 6497 अवैध निर्माण चिह्नित किए गए हैं।

इनमें अनंगपुर, अनखीर, मेवला महाराजपुर, लक्कड़पुर समेत कई गांव शामिल हैं। जून महीने में तोड़फोड़ की शुरुआत हुई थी, लेकिन जब कार्रवाई अनंगपुर गांव तक पहुंची, तो वहां भारी विरोध देखने को मिला।

भारतीय किसान यूनियन भी आई समर्थन में, संघर्ष समिति गठित  ग्रामीणों के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन (BKU) और उत्तर प्रदेश के सरधना से विधायक अतुल प्रधान भी पहुंचे। अतुल प्रधान ने कहा कि यह लोगों की हक की लड़ाई है और इसके लिए एक संघर्ष समिति बनाई जाएगी। उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसी भी तोड़फोड़ से पहले सभी प्रभावितों को वैकल्पिक आवास और कानूनी प्रक्रिया के तहत न्याय दिया जाए।

रविवार को पंचायत की तैयारी के लिए नोएडा, सहारनपुर, बागपत और मुजफ्फरनगर से गुर्जर समाज के प्रतिनिधि गांव पहुंचे। वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता विजय प्रताप ने जानकारी दी कि रविवार की पंचायत में अनंगपुर सहित 12 गांवों के ग्रामीण लोगों ने हिस्सा लिया।

गांववालों का कहना है कि उनके साथ अन्याय किया जा रहा है। वे सालों से यहां रह रहे हैं, और अब उन्हें बिना सुने जबरन बेदखल किया जा रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से यह मांग की है कि तोड़फोड़ की कार्रवाई को तुरंत रोका जाए और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के नाम पर लोगों को बेघर न किया जाए।

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